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लेखनी कहानी -01-Dec-2022 मित्रता

कहते हैं कि सबसे प्यारा रिश्ता होता है दोस्ती का । लेकिन दोस्ती करते समय यह जरूर ध्यान रहना चाहिए कि वह बंदा दोस्ती के लायक है भी या नही ? हर कोई कर्ण जैसा मित्र चाहता है जो यह जानकर कि वह गलत है उसके बाद भी उसके पक्ष में खड़ा रहता है । यही कर्ण की विशेषता है । यद्यपि कर्ण और दुर्योधन की मित्रता समान आधार पर नहीं थी । एक अकिंचन को इतना मान सम्मान देकर एक प्रांत का राजा बनाकर उसे हमेशा के लिए दुर्योधन ने खरीद लिया था और इस "उपकार" को दोस्ती का नाम दे दिया गया था जबकि वास्तव में यह रिश्ता एक मालिक और गुलाम का ही था । इसलिए कर्ण को इस उपकार का मूल्य चुकाना ही था । पर यहां पर मजेदार बात यह है कि जो कर्ण जैसा मित्र चाहते हैं वे स्वंय कर्ण बनने को तैयार नहीं हैं । बस, जीवन की यही सच्चाई है । आइए आज एक ऐसी ही कहानी के माध्यम से जानेंगे कि धूर्त, मक्कार और विश्वासघाती को मित्र बनाने पर क्या नुकसान होता है । 

एक जंगल में एक चंदन का वृक्ष था । अपनी महक से वह खुद भी महकता था और सबको भी महकाता रहता था । उसके सामने ही एक पलाश का वृक्ष भी था । पलाश के वृक्ष में बहुत सुंदर फूल आते हैं । उनको देखकर हर किसी का मन ललचाता था । चंदन का वृक्ष भी पलाश के फूलों को देखकर मन ही मन बहुत प्रसन्न होता रहता था । 

एक दिन चंदन के वृक्ष को महसूस हुआ कि उसका कोई मित्र नहीं है । जीवन में कम से कम एक मित्र तो होना ही चाहिए । यह सोचकर चंदन के वृक्ष ने पलाश कै वृक्ष की ओर मित्रता का हाथ बढा दिया । चंदन के वृक्ष ने यह भी नहीं देखा कि पलाश के वृक्ष का खानदान क्या है ? कैसे संस्कार हैं ? विश्वसनीय है कि नहीं ? बिना आगा पीछा सोचे उसने पलाश के वृक्ष को अपना मित्र बना लिया । 

पलाश के वृक्ष ने भी चंदन के वृक्ष का हाथ यह सोचकर थाम लिया कि वह दिन रात चंदन की खुशबू से महकता रहता है इसलिए चंदन से दोस्ती करना कोई नुकसान का सौदा नहीं है । दोनों दोस्त मस्ती में रहने लगे । एक दूसरे की प्रशंसा करने लगे । पूरे जंगल में उनकी दोस्ती के चर्चे होने लगे । 

एक दिन एक लकड़हारा उस जंगल में आया । वह रोज लकड़ियां काटकर ले जाता था और उन्हें बेचकर उन पैसों से अपना परिवार चलाता था । वह आज भी लकड़ी काटने ही आया था मगर उसे कोई सूखा पेड़ दिखाई नहीं दिया और हरा वृक्ष वह काट नहीं सकता था । 

वह गुमसुम सा चिंतामग्न पलाश के वृक्ष के नीचे बैठ गया । पलाश के वृक्ष से उसका दर्द देखा नहीं गया तो वह पूछ बैठा 
"लकड़हारे भाई, इतने परेशान क्यों हो" ? 
"क्या बताऊं , आज सुबह से ही भटक रहा हूं लेकिन कोई सूखा सा पेड़ ही नहीं मिला जिसे काटकर मैं उसकी लकड़ियां बेचकर अपने परिवार के पेट भर सकूं । बस, इसी बात से थोड़ा दुखी हूं" 
"बस, इतनी सी बात ? अरे, ये सामने चंदन का वृक्ष खड़ा है ना । ये बूढा और क्षीणकाय भी है । सूख भी रहा है कहीं कहीं से । अत: जल्दी से इसे काटकर अपने परिवार का पेट भर लो" । पलाश के वृक्ष के स्वर में उल्लास था । 

पलाश के वृक्ष के शब्द सुनकर चंदन के वृक्ष को बड़ा आश्चर्य हुआ । "ये मैंने किस को अपना मित्र बना लिया ? मित्र होकर भी मेरे को काटने की सलाह लकड़हारा को दे रहा है यह । बहुत बेकार है ये तो । अगर ऐसा मित्र हो तो शत्रु की आवश्यकता ही क्या है" ?

चंदन का वृक्ष ये सोच ही रहा था कि इतने में लकड़हारे ने चंदन के वृक्ष पर कुल्हाड़ी चलाना प्रारंभ कर दिया । उसने चंदन के वृक्ष की सभी डालियां काट डाली बस मूल तना रहने दिया । अब चंदन के वृक्ष को अहसास हो गया कि एक गलत व्यक्ति को मित्र बनाने का क्या फल मिलता है ? मगर अब तो बहुत देर हो चुकी थी अब क्या हो सकता था ? 

लकड़ी काटकर लकड़हारा पलाश के वृक्ष के नीचे बैठ गया था । उसके चेहरे पर अभी भी चिंता की लकीरें उभरी हुईं थीं । चंदन के वृक्ष ने अब चिंता का कारण पूछा तो उसने बताया कि वह आज लकड़ियों को बांधने की रस्सी घर पर ही भूल आया था । अब कैसे इन लकड़ियों का गठ्ठर बनेगा ? 

चंदन के वृक्ष को अब बदला लेने का मौका मिल गया था । उसने लकड़हारे से कहा "कोई बात नहीं । ये जो पलाश का वृक्ष है ना, जिसके नीचे तुम बैठे हो , इसकी जड़ें रस्सियों का काम करेंगी और तुम उनसे लकड़ियों का गठ्ठर बना कर ले जा सकते हो । 

लकड़हारे ने आव देखा ना ताव और धड़ाधड़ पलाश के वृक्ष को खोद डाला । उसकी जड़ों को काटकर उसने रस्सी बना ली और सारी लकड़ियों का एक गठ्ठर बांधकर ले गया । अब चंदन के वृक्ष को संतोष हो गया था । पलाश के वृक्ष ने अपने मित्र का नुकसान कर अपनी कब्र खोद ली थी । इसलिए मित्र पलाश के वृक्ष जैसा नहीं होना चाहिए, ये बात चंदन के वृक्ष को अब समझ में आ गयी थी । 

श्री हरि 
1.12.22 


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6 Comments

Gunjan Kamal

06-Dec-2022 02:18 PM

👏👌🙏🏻

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Hari Shanker Goyal "Hari"

06-Dec-2022 04:14 PM

🙏🙏

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शानदार प्रस्तुति

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Hari Shanker Goyal "Hari"

02-Dec-2022 01:17 AM

धन्यवाद जी

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Vedshree

01-Dec-2022 02:09 PM

एक सीख देती रचना 👌👌🙏

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Hari Shanker Goyal "Hari"

02-Dec-2022 01:17 AM

धन्यवाद जी

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